हिमाचल प्रदेश बना भारत का 5वां पूर्ण साक्षर राज्य, जानें कैसे मिली ये बड़ी उपलब्धि और आगे की राह | Newsmeto

हिमाचल प्रदेश बना भारत का 5वां पूर्ण साक्षर राज्य, जानें कैसे मिली ये बड़ी उपलब्धि और आगे की राह


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8 सितंबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर भारत के लिए एक बड़ी खबर सामने आई। हिमाचल प्रदेश को भारत का पांचवां पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया। इससे पहले गोवा, लद्दाख, मिजोरम और त्रिपुरा यह उपलब्धि हासिल कर चुके थे। यह उपलब्धि न केवल हिमाचल के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक कदम है।

पूर्ण साक्षर राज्य कब और कैसे माना जाता है?

शिक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2023 में यह मानदंड तय किया था कि कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश तभी पूर्ण साक्षर कहलाएगा जब उसकी साक्षरता दर 95% से अधिक हो। इस बदलाव के बाद कई राज्यों ने अपनी स्थिति दोबारा आंकी।

हिमाचल प्रदेश ने इस पैमाने पर शानदार प्रदर्शन करते हुए 99.3% साक्षरता दर हासिल की और “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित हुआ।

साक्षरता दर का आंकड़ा

  • गोवा – 99.72%
  • हिमाचल प्रदेश – 99.3%
  • मिजोरम – 98.2%
  • त्रिपुरा – 95.6%
  • लद्दाख – 95%+

केरल का नाम क्यों नहीं?

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अक्सर लोग सोचते हैं कि केरल सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य है, फिर उसका नाम इस सूची में क्यों नहीं है?
असल में शिक्षा मंत्रालय ने नया पैमाना अपनाया जिसमें लीस्ट काउंट एरर हटाकर 95% से ऊपर की दर को पूर्ण साक्षरता माना गया। केरल इस मानक पर खरा नहीं उतर सका।

किन प्रोग्राम्स ने निभाई अहम भूमिका?

1. उल्लास कार्यक्रम (ULLAS)

ULLAS का पूरा नाम है – Understanding Lifelong Learning for All in Society यानी समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा की समझ।

  • लक्ष्य – 2030 तक 100% साक्षरता
  • विशेषताएं –
    • बुनियादी पढ़ना-लिखना और गणना
    • व्यावहारिक कौशल (जैसे समय, मापना, कैलेंडर समझना, मुद्रा का उपयोग)
    • वयस्क शिक्षा को प्रोत्साहन

2. FLNAT परीक्षा

इस परीक्षा का पूरा नाम है – Functional Literacy Numeracy Assessment Test।

  • कुल अंक – 150
  • विषय – पढ़ना, लिखना और गणना
  • भाषा – परीक्षार्थी की पसंद (हिंदी, अंग्रेजी आदि)
  • प्रमाणपत्र – NIOS (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान) द्वारा जारी

FLNAT परीक्षा पास करने के बाद व्यक्ति को आधिकारिक रूप से “साक्षर” माना जाता है।

पहचान और प्रक्रिया

पूर्ण साक्षरता का दर्जा पाने के लिए:

  • घर-घर सर्वेक्षण कर निरक्षर लोगों की पहचान की जाती है।
  • उन्हें विशेष प्रशिक्षण और शिक्षा दी जाती है।
  • FLNAT परीक्षा पास कराने के बाद राज्य डाटा मंत्रालय को भेजता है।
  • शिक्षा मंत्रालय उस डाटा की जांच कर राज्य को “पूर्ण साक्षर” घोषित करता है।

छोटे राज्यों को फायदा क्यों?

छोटे राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में जनसंख्या कम होने से शिक्षा को नियंत्रित करना आसान होता है।

  • वहां पहले से ही साक्षरता दर ज्यादा होती है।
  • 95% के लक्ष्य तक पहुंचना अपेक्षाकृत आसान होता है।
  • उदाहरण – गोवा और मिजोरम।

आगे की राह – क्या भारत 100% साक्षर बन पाएगा?

संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक 100% साक्षरता का लक्ष्य रखा है। भारत को इस दिशा में और प्रयास करने होंगे।

  • बड़े राज्यों पर फोकस – बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विशेष अभियान चलाना होगा।
  • महिला शिक्षा पर जोर – एक महिला पढ़ती है तो पूरा परिवार साक्षर होता है।
  • डिजिटल साक्षरता – आज के समय में केवल किताबों से पढ़ना-लिखना काफी नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया की समझ भी जरूरी है।
  • गुणवत्ता नियंत्रण – FLNAT जैसी परीक्षाओं की विश्वसनीयता बढ़ानी होगी।
  • निरंतर शिक्षा – साक्षर होने के बाद भी लोग आगे पढ़ाई जारी रख सकें इसके लिए योजनाएं बनानी होंगी।

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश का पूर्ण साक्षर राज्य बनना भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह दिखाता है कि अगर मजबूत इच्छाशक्ति और सही नीतियां हों तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

यह सफलता अन्य बड़े राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेगी कि वे शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार करें। अब भारत का अगला लक्ष्य है – 2030 तक 100% साक्षरता। अगर महिला शिक्षा, डिजिटल शिक्षा और वयस्क शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए तो यह लक्ष्य असंभव नहीं है।

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