भारत में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर गत वर्षों में तेजी से उभरा है और सरकार की ग्रीन एनर्जी नीति ने इस पूरे सेक्टर में नई जान डाल दी है। इसी उभरते बाजार में दो दिग्गज कंपनियों की चर्चा सबसे ज्यादा होती है— Waaree Energies और Suzlon Energy। एक सोलर एनर्जी की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी है तो दूसरी भारत की अग्रणी विंड टर्बाइन निर्माता। ऐसे में सवाल उठता है कि Waaree Energies vs Suzlon Energy में असली एनर्जी किंग कौन है? किस कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति ज्यादा मजबूत है और किसके ऑर्डर बुक में ज्यादा दम दिखाई देता है?
यह तुलना निवेशकों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि दोनों कंपनियों ने बीते कुछ सालों में जबरदस्त ग्रोथ दिखाई है, जिसके चलते इनके शेयरों ने भी निवेशकों के पोर्टफोलियो में अच्छी बढ़त दी है। आगे हम क्षमता, व्यवसाय मॉडल, फाइनेंशियल प्रफॉर्मेंस, ऑर्डर बुक और मार्केट आउटपरफॉर्मेंस के आधार पर दोनों कंपनियों का विश्लेषण करेंगे।
Waaree Energies और Suzlon Energy का व्यवसाय मॉडल
Waaree Energies vs Suzlon Energy की तुलना में सबसे पहले उनका व्यवसाय मॉडल समझना जरूरी है। वारी एनर्जीज मुख्य रूप से सोलर मॉड्यूल, सोलर सेल, ग्रिड इन्वर्टर और सोलर प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है। इसके साथ ही यह कंपनी बड़े पैमाने पर सोलर फार्म्स का निर्माण, संचालन और रखरखाव भी करती है। कंपनी आने वाले समय में एक फुल-फ्लेज्ड सोलर IPP (Independent Power Producer) बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
दूसरी ओर, सुजलॉन एनर्जी भारत की सबसे पुरानी और अग्रणी विंड टर्बाइन निर्माता कंपनी है। यह न केवल विंड टर्बाइन बनाती है बल्कि विंड फार्म डेवलपमेंट, EPC सेवाएं, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और O&M (Operations & Maintenance) की सेवाएं भी प्रदान करती है। भारत में स्थापित विंड पावर क्षमता के सबसे बड़े हिस्से पर सुजलॉन का ही कब्जा है, जिससे इसकी बाजार स्थिति बेहद मजबूत हो जाती है।
कौन है क्षमता के मामले में आगे?
जहां तक क्षमता की बात है, Waaree Energies की सोलर PV मॉड्यूल निर्माण क्षमता 13.3 GW तक पहुंच चुकी है। कंपनी गुजरात और नोएडा में स्थित अपनी यूनिट्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही है और अब 5.4 GW की नई सेल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता जोड़ने में लगी हुई है। यह क्षमता उसे आने वाले 3 वर्षों में विश्व के शीर्ष सोलर मॉड्यूल निर्माताओं में शामिल कर सकती है।
इसके मुकाबले Suzlon Energy की स्थापित (Installed) विंड एनर्जी क्षमता वैश्विक स्तर पर 20 GW से अधिक है, जिसमें से 13.9 GW क्षमता भारत में स्थित है। भारत के 111 से ज्यादा विंड फार्म और 15,100 मेगावाट की स्थापित क्षमता सुजलॉन को विंड एनर्जी का निर्विवाद लीडर बनाती है।
क्षमता के लिहाज से देखा जाए तो सोलर और विंड दोनों अलग-अलग उद्योग हैं, लेकिन दोनों ही अपनी-अपनी कैटेगरी में अग्रणी हैं। Waaree Energies vs Suzlon Energy की तुलना में स्पेसिफिकली किसी एक को बड़ा कहना मुश्किल है क्योंकि दोनों की टेक्नोलॉजी और उपयोग अलग-अलग हैं।
किसकी ऑर्डर बुक में ज्यादा पावर?
ऑर्डर बुक किसी भी कंपनी का भविष्य तय करती है और इस पहलू में Suzlon Energy स्पष्ट रूप से बहुत आगे दिखाई देती है। हाल ही में कंपनी ने FY25 की चौथी तिमाही में 573 मेगावाट की रिकॉर्ड डिलीवरी की है, जिसके बाद इसकी कुल वार्षिक डिलीवरी 1.55 GW तक पहुंच गई। इसकी कुल ऑर्डर बुक 5.6 GW के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है, और सिर्फ S144 प्लेटफॉर्म पर आधारित ऑर्डर्स 5 GW से ऊपर पहुंच गए हैं।
दूसरी ओर, Waaree Energies की ऑर्डर बुक फिलहाल 200 मेगावाट से थोड़ा अधिक है, जो उसके मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग फोकस और सेल-मॉड्यूल बाजार को देखते हुए ठीक-ठाक है, लेकिन सुजलॉन से तुलना करने पर कम दिखाई देती है। हालांकि भारत में सोलर सेक्टर जिस गति से विस्तार कर रहा है, आने वाले वर्षों में वारी की ऑर्डर बुक तेजी से बढ़ सकती है।
कमाई में कौन है नंबर 1?
दोनों कंपनियों ने FY25 में शानदार नतीजे दिए हैं। Waaree Energies का Q4 FY25 का नेट प्रॉफिट 34% बढ़कर 618.9 करोड़ रुपये हो गया। इसका राजस्व 36% बढ़कर 4,003.9 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और EBITDA में 120% की जबरदस्त छलांग देखने को मिली।
इसके मुकाबले Suzlon Energy का प्रदर्शन और भी धुआंधार रहा। कंपनी का Q4 FY25 का शुद्ध लाभ 365% की रफ्तार से उछलकर 1,182 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। राजस्व भी 73% की वृद्धि के साथ 3,773 करोड़ रुपये हो गया। प्रॉफिटेबिलिटी में आई इस विस्फोटक तेजी ने कंपनी में नए निवेशकों का भरोसा और बढ़ा दिया है।
शेयर मार्केट में किसने दिया ज्यादा रिटर्न?
शेयरों के प्रदर्शन की बात करें तो Waaree Energies ने लिस्टिंग से अब तक शानदार रिटर्न दिया है और पिछले 1 वर्ष में यह 26% से अधिक ऊपर गया है। हालांकि, हाल ही में कंपनी की 6 GW नई यूनिट की रणनीतिक री-स्ट्रक्चरिंग की घोषणा के बाद इसमें मामूली गिरावट देखी गई।
इसके विपरीत Suzlon Energy के शेयर में पिछले एक वर्ष में करीब 15% की बढ़त देखने को मिली है। हालांकि इसके शेयरों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, लेकिन नए ऑर्डर्स और बेहतर फाइनेंशियल से इसमें स्थिरता आने लगी है।
निष्कर्ष
यदि ऑर्डर बुक, प्रोजेक्ट डिलीवरी और स्थापित क्षमता की बात करें तो Suzlon Energy फिलहाल आगे दिखाई देती है। कंपनी ने विंड एनर्जी बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है और इसके फायनेंशियल रिजल्ट भी शानदार हैं।
वहीं Waaree Energies भविष्य की सोलर टेक्नोलॉजी का चेहरा बनकर उभर रही है। इसकी तेजी से बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग क्षमता आने वाले समय में इसे दुनिया के सबसे बड़े सोलर मॉड्यूल निर्माताओं में शामिल कर सकती है।
दोनों ही कंपनियां भारतीय रिन्यूएबल एनर्जी की ग्रोथ स्टोरी का अहम हिस्सा हैं। इसलिए निवेशक अपनी रिस्क प्रोफाइल और सेक्टर की समझ के आधार पर इनमें से किसी एक या दोनों कंपनियों को लंबी अवधि के लिए चुन सकते हैं।
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