
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा को शिल्पकारों, इंजीनियरों और कारीगरों का देवता माना जाता है। इन्हें देवशिल्पी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इन्होंने स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, द्वारका, हस्तिनापुर और भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र तक बनाया था।
इसलिए हर साल विश्वकर्मा जयंती के दिन औज़ारों, मशीनों, वाहनों और कार्यस्थलों की पूजा की जाती है ताकि कार्य में सफलता और समृद्धि बनी रहे।
विश्वकर्मा पूजा कब और कहाँ की जाती है?
- हर साल भाद्रपद मास की संक्रांति को मनाई जाती है।
- 2025 में यह तिथि 17 सितंबर को आ रही है।
- फैक्ट्री, वर्कशॉप, ऑफिस, दुकान, घर, वाहन और मशीनरी की पूजा करना शुभ माना जाता है।
विश्वकर्मा पूजा कैसे करें? (Step-by-Step Guide)
1. स्थान की सफाई और तैयारी
- सबसे पहले पूजा स्थल और मशीनों को साफ करें।
- पूजा चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ।
- भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
2. पूजन सामग्री
- भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर/मूर्ति
- हल्दी, चावल, रोली, फूल
- नारियल, फल, मिठाई
- पान-सुपारी
- धूप, दीपक और कलश
- पूजा के लिए गंगाजल
- सभी औज़ार या मशीन जिनका प्रयोग करते हैं
3. संकल्प
- पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल और फूल लेकर संकल्प करें—
“मैं भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करता हूँ, कृपा कर मेरे कार्य में सफलता दें और सभी विघ्न दूर करें।”
4. पूजन विधि
- दीपक जलाएँ और भगवान विश्वकर्मा जी का ध्यान करें।
- फूल, अक्षत और जल अर्पित करें।
- मशीनों और औज़ारों पर हल्दी और फूल चढ़ाएँ।
- नारियल चढ़ाकर प्रसाद अर्पित करें।
- विश्वकर्मा जी के मंत्र का जाप करें।
👉 प्रमुख मंत्र:
ॐ आधार शक्तपे नमः, ॐ कुर्माय नमः, ॐ अनन्ताय नमः, ॐ विश्वकर्मणे नमः।
5. आरती और प्रसाद
- विश्वकर्मा जी की आरती करें।
- पूजा के बाद प्रसाद सभी को बाँटें।
- इस दिन बिना पूजा के मशीन या वाहन का प्रयोग न करें।
विश्वकर्मा पूजा में क्या करें और क्या न करें?
✔ इस दिन औज़ारों और मशीनों को साफ कर सजाएँ।
✔ पूजा के बाद ही कार्य प्रारंभ करें।
✔ फैक्ट्री या वर्कशॉप में सामूहिक पूजा करना अधिक फलदायी होता है।
पूजा के दिन मशीनों का उपयोग पूजा से पहले न करें।
पूजा स्थल गंदा न रखें।
प्रसाद अकेले न खाएँ, सबके बीच बाँटें।
निष्कर्ष
भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि काम और जीवन में अनुशासन, स्वच्छता और सफलता का प्रतीक है। इस दिन पूजा करने से काम में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और समृद्धि का मार्ग खुलता है।
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