सूर्य ग्रहण 2025: 122 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, जानें सूतक काल, समय और राशियों पर असर | Newsmeto

सूर्य ग्रहण 2025: 122 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, जानें सूतक काल, समय और राशियों पर असर


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सूर्य ग्रहण 2025: 122 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, जानें समय, सूतक काल और राशियों पर असर

122 साल बाद बनेगा विशेष संयोग

साल 2025 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण खगोलीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के हिसाब से भी बेहद खास है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह संयोग 122 साल बाद बन रहा है जब ग्रहण से ही पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। हिंदू परंपरा में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, और जब इसकी शुरुआत सूर्य ग्रहण से होती है, तो इसे अत्यंत दुर्लभ और प्रभावशाली माना जाता है।

भारत में सूर्य ग्रहण का प्रभाव

हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसके धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव भारतवासियों पर अवश्य पड़ेंगे। सूतक काल और आस्था से जुड़ी मान्यताएँ भारत के विभिन्न हिस्सों में मानी जाएँगी।

ग्रहों की स्थिति (Planetary Positions)

इस ग्रहण के दौरान ग्रहों की विशेष स्थिति बनी रहेगी—

  • सूर्य, चंद्र और बुध एक साथ कन्या राशि में रहेंगे।
  • तुला राशि में मंगल का बैठना विशेष प्रभाव डालेगा।
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस समय चंद्रमा की स्थिति कमजोर मानी जा रही है, जो कुछ राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

किन राशियों पर रहेगा अशुभ प्रभाव?

ग्रहण के दौरान ज्योतिषीय दृष्टि से कुछ राशियाँ अशुभ प्रभाव महसूस कर सकती हैं।
इन राशियों के जातकों को सावधानी और संयम बरतने की सलाह दी जाती है।

  • मानसिक अशांति बढ़ सकती है
  • निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है
  • स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं

पितृपक्ष और सूर्य ग्रहण का ऐतिहासिक संबंध

इतिहास गवाह है कि जब भी पितृपक्ष और ग्रहण का संयोग बनता है, तो इसे विशेष महत्व दिया जाता है।
साल 1903 में, जब किंग एडवर्ड सप्तम और क्वीन एलेक्जेंड्रा का राज्याभिषेक हुआ था, उसी दौरान पितृपक्ष में दो ग्रहण पड़े थे।
यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ऐसे संयोग बेहद दुर्लभ होते हैं।

सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें?

ग्रहण काल को हिंदू धर्म में खास माना गया है। मान्यता है कि इस समय किए गए धार्मिक कार्य सामान्य दिनों से कई गुना फल देते हैं।

क्या करना चाहिए

  1. मंत्र जाप और ध्यान करें।
  2. प्रार्थना, भजन-कीर्तन और साधना में समय दें।
  3. दान-पुण्य करना विशेष लाभकारी होता है।

क्या न करें

  1. ग्रहण काल में भोजन और जल का सेवन न करें।
  2. नुकीली वस्तुओं का प्रयोग न करें।
  3. नकारात्मक विचारों और कार्यों से बचें।

सूर्य ग्रहण 2025 से जुड़े मुख्य तथ्य

  • साल 2025 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण
  • भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन धार्मिक प्रभाव रहेगा
  • 122 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग
  • पितृपक्ष की शुरुआत सूर्य ग्रहण से होगी
  • कुछ राशियों पर अशुभ प्रभाव पड़ सकता है

निष्कर्ष

सूर्य ग्रहण 2025 न केवल एक खगोलीय घटना है बल्कि ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से भी अत्यंत खास है। 122 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब ग्रहण से ही पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। यह समय श्रद्धा, साधना और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त है।

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