ड्रैगन और हाथी साथ-साथ! XI जिनपिंग ने पीएम मोदी से कहा - भारत-चीन दोस्ती से दुनिया का फ़ायदा | Newsmeto

ड्रैगन और हाथी साथ-साथ! XI जिनपिंग ने पीएम मोदी से कहा – भारत-चीन दोस्ती से दुनिया का फ़ायदा

भारत-चीन रिश्तों में नई शुरुआत

भारत और चीन, एशिया की दो सबसे बड़ी शक्तियां और दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश, लंबे समय से आपसी रिश्तों और सीमा विवादों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन तियानजिन में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने इन संबंधों में नई ऊर्जा भर दी है।

बैठक के दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन को “दोस्त” बने रहना चाहिए और अच्छे पड़ोसी की तरह सहयोग करना चाहिए। उन्होंने इस रिश्ते को “Dragon और Elephant के साथ नृत्य” की तरह बताया, जिसका मतलब है कि दोनों देश साथ मिलकर सफलता की नई कहानियाँ लिख सकते हैं।

Global South में भारत-चीन की अहम भूमिका

शी जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन केवल पड़ोसी ही नहीं, बल्कि Global South के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य भी हैं। दुनिया में चल रहे बड़े बदलावों के बीच दोनों देशों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी जनता की भलाई के साथ-साथ विकासशील देशों की एकता और प्रगति में योगदान दें।

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उन्होंने कहा कि “दुनिया इस समय बड़े बदलावों और चुनौतियों से गुजर रही है। भारत और चीन जैसी प्राचीन सभ्यताएँ शांति, सहयोग और प्रगति के लिए काम करें तो पूरी मानवता को लाभ होगा।”

Modi का संदेश: मानवता की भलाई के लिए सहयोग जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुलाकात में सहयोग की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच मजबूत साझेदारी से न केवल दोनों देशों को, बल्कि पूरी मानवता को लाभ होगा। मोदी ने शी जिनपिंग को SCO (Shanghai Cooperation Organisation) की अध्यक्षता संभालने पर बधाई भी दी।

75 साल के राजनयिक संबंधों की ओर कदम

साल 2025 भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का प्रतीक होगा। इस मौके को लेकर शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों को रणनीतिक दृष्टिकोण और लंबे समय की सोच के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देशों के संबंध लगातार स्थिर और मजबूत बने रहें।

सीमा विवाद में बड़ी राहत

इस बैठक का एक और बड़ा परिणाम यह रहा कि भारत और चीन ने Line of Actual Control (LAC) पर गश्त को लेकर नया प्रोटोकॉल बनाया है। यह समझौता पिछले चार साल से जारी सीमा तनाव को कम करने में अहम साबित होगा। सीमा पर टकराव और तनाव भारत-चीन रिश्तों में सबसे बड़ी चुनौती रहे हैं। लेकिन अब यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास को मजबूत करेगा।

Multilateralism और Asia की शांति

शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन को मिलकर Multilateralism यानी बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अधिक लोकतांत्रिक और बहुध्रुवीय (Multipolar) बनाने में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एशिया ही नहीं, पूरी दुनिया की शांति और समृद्धि में भारत और चीन की साझेदारी अहम भूमिका निभा सकती है।

Conclusion

भारत और चीन की तियानजिन मुलाकात ने यह संदेश दिया है कि दोनों देश अगर आपसी मतभेदों को पीछे छोड़ दें और विकास, सहयोग और शांति पर ध्यान दें, तो न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया को फायदा होगा।

“Dragon aur Elephant ek saath dance kar sakte hain” – यह कथन केवल एक रूपक नहीं, बल्कि भविष्य के रिश्तों की नई दिशा भी हो सकता है।

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