
करवा चौथ 2025: सम्पूर्ण पूजा विधि, नियम और अनुष्ठान (अकेले कैसे करें?)
शुरुआत — शुभकामनाएँ एवं उद्देश्य
मेरी सभी बहनों को आने वाले करवा चौथ व्रत पूजा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
करवा माता और पार्वती माता की कृपा से आप सभी का सुहाग सदा अमर बना रहे।
आज इस लेख में मैं आपको पूरी विधि समझाऊँगी — खासकर उन बहनों के लिए जो शायद अकेले हों या सासू-मां दूर हों — तो कैसे पूजा करें, करवे क्या भरें, कैसे फेरें, बायना कैसे निकाली जाए, किसे दें आदि।
करवा चौथ 2025: तिथि व समय
- इस वर्ष करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा।
- चतुर्थी तिथि शुरू होगी 9 अक्टूबर रात 10:55 बजे से और समाप्त होगी 10 अक्टूबर शाम 7:38 बजे तक।
- सूर्य उदय होगा सुबह 6:25 बजे, और सूर्यास्त शाम 6:02 बजे।
सर्गी — व्रत से पहले का भोजन
व्रत शुरू होने से पहले, सुबह बहुत जल्दी, सर्गी ग्रहण की जाती है।
इस साल सर्गी का समय — सुबह 4:30 बजे तक — माना गया है।
सर्गी में हल्का, पौष्टिक आहार लेना चाहिए — जैसे फल, सूखे मेवे, हल्का अनाज, दूध या मीठा हलवा आदि, ताकि पूरा दिन निर्जला व्रत सहन हो सके।
पूजा की तैयारी — श्रृंगार व सामग्री
- सुबह स्नान कर कपड़े पहन लें। मेहंदी, श्रृंगार आदि एक दिन पहले कर लेना बेहतर है।
- साड़ी या पारंपरिक वस्त्र पहनें — पीलिया, चुनरी, चुनिंदा आभूषण पहन सकते हैं।
- चौकी या पट्टा बिछाएँ, उस पर लाल वस्त्र फैलाएँ।
- अक्षत (चावल), फूल इत्यादि से आसन सजाएँ।
- करवा माता की फोटो या कलेंडर (या मूर्ति) स्थापित करें।
- यदि संभव हो तो कलश स्थापना करें — उसमें गंगाजल, जल, सिक्का, सुपारी, हल्दी, अक्षत आदि रखें। ऊपर आम के पत्ते और पूर्ण पात्र रखें।
- दो करवे (पोत) तैयार करें — एक में जल, दूसरे में मिठाई और ड्राईफ्रूट्स।
- जल वाले करवे में चांदी का सिक्का या अंगूठी डाल सकते हैं।
- करवे की सीक (नल) बंद कर दें ताकि जल बाहर न निकले।
- करवे को गेहूं की ढेरी पर स्थापित करें।
पूजा क्रम — कैसे करें?
- करवा माता, गणपति, शिव–पार्वती की तस्वीरों या मूर्तियों को तिलक, अक्षत, फूल अर्पित करें।
- दीपक जलाएँ, आरती करें।
- बायना (जो सासू-मां को ज़रूरत हो) निकालें — साड़ी, श्रृंगार की वस्तुएँ, दक्षिणा आदि। अगर सासू मां दूर हों, तो देव परिवार या किसी सुहागन को दान करें।
- कथा (व्रत कथा) पढ़ें या सुनें — कथा को ध्यान से सुनना चाहिए।
- करवे फेरने की विधि:
- यदि दो करवे हैं तो उन्हें आपस में सात बार फेरें — हाथ क्रॉस करके “पार्वती माता सुहाग दे” बोलते हुए।
- अगर एक ही करवा हो तो उसी को सात बार घुमाएँ।
- फेरते समय करवे टकराएँ नहीं।
- चंद्रमा उदय होते ही (रात 8:33 बजे इस वर्ष) — छलनी से चंद्रमा देखें, उसे जल अर्पित करें और फिर उसी छलनी से पति का चेहरा देखें।
- व्रत का पारण करें — पति या किसी द्वारा एक घूँट जल पिलाएं।
- दान करें — साड़ी, सूट, अनाज, मिठाई, दक्षिणा आदि।
- हाथ जोड़कर करवा माता से क्षमा याचना करें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।
यदि चंद्रमा न दिखे तो क्या करें?
- बादल आदि कारण से चंद्रमा दिखना कठिन हो — थोड़ी प्रतीक्षा करें।
- यदि चंद्रमा बिल्कुल न दिखे तो चांदी का चंद्रमा पूजन करें या भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा को देखकर अर्घ दें।
- एक थाली में अक्षत से चंद्रमा की आकृति बनाकर भी अर्घ दिया जा सकता है।
कौन क्या खोज सकते हैं — और जोड़ने योग्य विषय
आगे वो विषय जिन पर ब्लॉग विज़िटर्स सर्च कर सकते हैं — इन्हें इस आर्टिकल में जोड़ना अच्छा रहेगा:
- “अकेले करवा चौथ पूजा विधि”
- “करवे फेरने की नियम”
- “बायना कैसे निकालें और किसे दें”
- “गर्भवती महिलाएं करवा चौथ व्रत रख सकती हैं या नहीं?” — (विशेषज्ञ सलाह के अनुसार ऐसे व्रतों में सावधानी रखें)
- “करवा चौथ के लिए सर्जनल मेकअप टिप्स / स्किनकेयर टिप्स”
- “करवा चौथ साज-सज्जा: साड़ी, ब्लाउज डिज़ाइन”
- “छलनी का महत्व” — यह सरल उपकरण पूजा के दौरान बहुत भावनात्मक अर्थ रखती है।
- “चौथ माता मंदिरों की मान्यता” — जैसे राजस्थान का चौथ माता मंदिर
- “ऐसे व्रत न रखें — स्वास्थ्य कारणों से कौन व्रत नहीं रखे” — खासकर अगर स्वास्थ्य समस्या हो या गर्भवती हों।