
दोस्तों, आपने अक्सर ओलंपिक खिलाड़ियों या बड़े एथलीट्स को देखा होगा जिनके शरीर पर गोल-गोल लाल या भूरे रंग के निशान बने होते हैं। कई बार लोग सोचते हैं कि यह चोट के निशान हैं, लेकिन असलियत कुछ और ही है। ये निशान कपिंग थेरेपी (Cupping Therapy) के होते हैं।
NewsMeto.in लेकर आया है आपके लिए पूरी जानकारी कि कपिंग थेरेपी क्या होती है, यह कैसे की जाती है, इसके कितने प्रकार हैं और इसके फायदे व साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं।
🌀 कपिंग थेरेपी क्या है?
Cupping Therapy एक प्राचीन लेकिन प्रभावी तकनीक है, जिसमें कांच, सिलिकॉन या प्लास्टिक के कप्स को त्वचा पर चिपकाकर वैक्यूम बनाया जाता है। इस वैक्यूम के कारण त्वचा और नीचे के टिश्यू ऊपर खिंच जाते हैं, जिससे:
- रक्त संचार बढ़ता है
- शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं
- दर्द और सूजन में राहत मिलती है
इसे हिजामा या हन थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है और आजकल इसे खासतौर पर स्पोर्ट्स पर्सन्स और एथलीट्स के बीच काफी लोकप्रियता मिल रही है।
🧾 कपिंग थेरेपी के प्रकार
Cupping Therapy के मुख्य 3 प्रकार हैं:
1. ड्राई कपिंग (Dry Cupping)
- सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका।
- कप्स को त्वचा पर चिपकाकर सक्शन बनाया जाता है।
- इससे रक्त संचार तेज होता है और टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।
2. वेट कपिंग (Wet Cupping)
- इसमें पहले त्वचा पर हल्की सुई या ब्लेड से छोटे कट लगाए जाते हैं।
- फिर कप लगाकर खून और टॉक्सिन्स को बाहर निकाला जाता है।
- इसे हिजामा भी कहते हैं।
3. डायनामिक कपिंग (Dynamic Cupping)
- खासकर एथलीट्स में उपयोग किया जाता है।
- इसमें कप्स को धीरे-धीरे शरीर के हिस्से पर घुमाया जाता है।
- यह मसल रिलैक्सेशन और लिम्फेटिक ड्रेनेज में मदद करता है।
✅ Cupping Therapy के फायदे
वैज्ञानिक रिसर्च और प्रैक्टिकल अनुभवों के आधार पर Cupping Therapy के कई फायदे बताए गए हैं, जैसे:
- दर्द और सूजन में राहत
- रक्त संचार में सुधार
- मसल टाइटनेस कम करना
- जोड़ों की लचक बढ़ाना
- माइग्रेन और सिरदर्द से राहत
- गर्दन, पीठ, घुटने और कंधे के दर्द में असरदार
- स्पोर्ट्स इंजरी से जल्दी रिकवरी
- अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याओं में सहायक
- गैस्ट्रिक व पेट की समस्या जैसे IBS (इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम) में लाभकारी
Cupping Therapy के साइड इफेक्ट्स
हर तकनीक की तरह कपिंग थेरेपी के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, हालांकि ये बहुत गंभीर नहीं होते।
- त्वचा पर गोल निशान या लाल/काले धब्बे (2–3 हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाते हैं)
- हल्की चक्कर या थकान
- कुछ लोगों में ब्लिस्टर या ब्रूज़िंग
- यदि साफ-सफाई का ध्यान न रखा जाए तो इंफेक्शन का खतरा
👉 ध्यान रहे: यह थेरेपी केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में ही करवानी चाहिए।
निष्कर्ष (NewsMeto.in के साथ)
Cupping Therapy एक प्राचीन और असरदार तकनीक है, जो आजकल एथलीट्स और फिटनेस प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। यह दर्द, सूजन और थकान को दूर करने में मदद करती है और शरीर को एनर्जेटिक बनाती है। हालांकि, इसे बिना विशेषज्ञ की देखरेख में करना खतरनाक हो सकता है।
👉 अगर आप इसे करवाना चाहते हैं तो किसी अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट से ही संपर्क करें।
NewsMeto.in हमेशा आपके लिए ऐसी ही हेल्थ और फिटनेस से जुड़ी उपयोगी जानकारी लेकर आता रहेगा।