
सेंट्रल बैंकों के पास अब US Treasuries से ज्यादा सोना
1996 के बाद पहली बार दुनिया के सेंट्रल बैंकों के पास US Treasuries से ज्यादा सोना आ गया है। यह विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) की होल्डिंग में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। सोना अब डॉलर के बाद सबसे अहम रिजर्व एसेट बन चुका है और इसने यूरो को भी पीछे छोड़ दिया है।
गोल्ड ने तोड़ा 40 साल पुराना रिकॉर्ड
पिछले चार दशकों की महंगाई को एडजस्ट करने के बाद, गोल्ड का स्पॉट प्राइस अब अपने पुराने पीक $850 प्रति औंस (21 जनवरी 1980) से आगे निकल गया है, जो आज के हिसाब से लगभग $3590 प्रति औंस बैठता है।
गोल्ड प्राइस आउटलुक: US Fed पॉलिसी पर नजर
इस हफ्ते गोल्ड मार्केट के लिए बेहद अहम है क्योंकि US Federal Reserve की 17 सितंबर की पॉलिसी मीटिंग से कीमतों में बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
- अनुमान है कि 25 bps का रेट कट होगा, जबकि 50 bps कट की भी थोड़ी संभावना है।
- साल के अंत तक 3 बार रेट कट होने की उम्मीद बनी हुई है।
- अगर पॉलिसी “हॉकिश कट” हुई तो प्रॉफिट बुकिंग हो सकती है, लेकिन बड़ी गिरावट की संभावना कम है क्योंकि US लेबर मार्केट में कमजोरी के संकेत मिल रहे हैं।
👉 सपोर्ट लेवल: $3620 – $3570 प्रति औंस (CMP $3685)
👉 रेजिस्टेंस लेवल: $3720 – $3750 प्रति औंस
भारत में MCX फ्यूचर्स पर यह लेवल ₹1,12,000 – ₹1,12,500 प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है।
निष्कर्ष
सोना अब रिजर्व एसेट के रूप में और मजबूत होता जा रहा है। इसने US Treasuries और यूरो दोनों को पीछे छोड़ दिया है और अब केवल US Dollar से नीचे है। आने वाली US Fed पॉलिसी ही तय करेगी कि शॉर्ट-टर्म में सोना ऊपर जाएगा या कंसाॅलिडेट करेगा।
(Disclaimer: यह विश्लेषण केवल जानकारी के लिए है। NewsMeto किसी भी निवेश निर्णय की जिम्मेदारी नहीं लेता।)
